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क्रिप्टो स्टेकिंग।सुरक्षित निवेश के साथ लगातार कमाई।(How To Earn From Crypto Staking Securely?)

By November 6, 20205 minute read

Note: This post has been written by a WazirX Warrior as a part of the “WazirX Warrior program“.

क्रिप्टो ने निवेश के तरीके को बदला है।अब लोग परम्परागत निवेश की जगह निवेश के अन्य विकल्पों के बारे में काफी खुले विचार रखते हैं और निवेश के लिए जोखिम भी लेने के लिए तैयार रहते हैं।क्रिप्टो में निवेश को हमेशा ही थोड़ा जोखिम भरा माना जाता है क्योंकि इस बाजार में काफी ज्यादा उतार चढ़ाव रहते हैं लेकिन यह नियम सिर्फ क्रिप्टो ही नहीं बल्कि निवेश के सभी साधनों पर निर्भर करते हैं।लेकिन क्रिप्टो में स्टेकिंग एक ऐसा माध्यम है जहां पर सुरक्षित निवेश के साथ ही लगातार कमाई की जा सकती है,साथ ही यह परम्परागत निश्चित समय अवधि निवेश (फिक्स डिपॉज़िट)से कई तरीकों से बेहतर भी है।

क्या है स्टेकिंग ?

क्रिप्टो स्टेकिंग “प्रूफ ऑफ़ स्टेक” प्रणाली से जुड़ा कमाई का एक अच्छा तरीका है और इसके लिए आपको क्रिप्टो का विशेषज्ञ होने की जरुरत नहीं है।क्रिप्टो प्रणाली में “प्रूफ ऑफ़ वर्क” तकनीक पर काम करने वाले प्रोजेक्ट्स में किसी भी ट्रांजक्शन को सत्यापित (वेरिफाई)करने के लिए माइनिंग मशीनों की जरुरत पड़ती है और जैसे जैसे समय बढ़ता है यह माइनिंग और जायदा खर्चीली और धीमी पड़ती जाती है जैसे की बिटकॉइन और एथेरियम।वहीं पर कुछ प्रोजेक्ट ट्रांजक्शन को सत्यापित करने के लिए “प्रूफ ऑफ़ स्टेक” प्रणाली को अपनाते हैं जहां पर ट्रांजक्शन को कम खर्चीले तरीके से कम्प्यूटर शक्ति की मदद से सत्यापित किया जाता है और जो इन ट्रांजक्शन को सत्यापित करते हैं उन्हें ‘वेलिडेटर्स’ कहा जाता है।वेलिडेटर्स के पास तकनीकी ज्ञान के साथ ही कम्प्यूटर प्रणाली भी उपलब्ध होती है ट्रांजक्शन को वेरिफाई करने के लिए लेकिन यह जिस प्रोजेक्ट के वेलिडेटर्स होते हैं उसके टोकन को इन्हें दाव पर रखना पड़ता है यानि स्टेकिंग पर रखना होता है जिसकी एक कम से कम सीमा होती है और इसके बाद जिसके पास जितनी ज्यादा स्टेकिंग होती है वह उतनी ही ज्यादा ट्रांजक्शन को वेरिफाई कर पता है और उसे उतना ही ज्यादा रिवॉर्ड भी मिलता है जो ट्रांजक्शन फीस के साथ ही उस प्रोजेक्ट से भी मिलता है जिसके वह वेलिडेटर्स बने हैं।

स्टेकर्स कौन होते हैं और कैसे फायदा कमाते हैं ?

वेलिडेटर्स को अपनी स्टेकिंग की ताकत को बढ़ाने के लिए और ज्यादा निवेश की जरुरत होती है जिसे स्टेकर्स पूरा करते हैं।स्टेकर को किसी भी तरह की तकनीकी जानकारी की जरुरत नहीं होती।आमतौर पर स्टेकिंग की कम से कम और ज्यादा से ज्यादा सीमा नही होती।क्रिप्टो बाजार में कई कम्पनियां और प्रोजेक्ट्स है जहां पर स्टेकिंग की जा सकती है जैसे की मैटिक जहां पर आप एक मैटिक से भी स्टेकिंग शुरू कर सकते हैं। एथेरियम भी 2.0 के साथ प्रूफ ऑफ़ स्टेक पर आ रहा है लेकिन यहाँ पर स्टेकिंग की सीमा निर्धारित हो सकती है।

स्टेकिंग के लिए आप किसी भी ऐसे वॉलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसे स्टेक करने वाला प्रोजेक्ट सपोर्ट कर रहा है। इसके बाद आप इस वॉलेट में वह कॉइन या टोकन ला सकते हैं जिसे स्टेक करना है और फिर प्रोजेक्ट द्वारा स्टेक के लिए दिए गए लिंक से अपने वॉलेट को जोड कर आप अपने टोकन को स्टेक कर सकते हैं।

स्टेकिंग के फायदे।

क्रिप्टो में स्टेकिंग सबसे ज्यादा सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि इसमें आपके द्वारा किया गया निवेश हमेशा आपके पास सुरक्षित रहता है।आमतौर पर स्टेक किए गए निवेश का कुछ समय की लॉकइन समय होता है यानि उस समय तक आप अपने निवेश को नही निकाल सकते लेकिन इसके बाद आप कभी भी अपने निवेश को निकाल सकते हैं।स्टेकिंग पर आपको हर थोड़ी देर बाद,चौबीस घंटे बाद या कहीं-कहीं पर एक महीने में भी स्टेकिंग का मुनाफा मिलता है। स्टेकिंग से मिलने वाले मुनाफे को आप चाहें तो विड्रॉ कर सकते हैं या फिर वापिस स्टेक भी कर सकते हैं जिस से आपको और ज्यादा मुनाफा मिलता रहेगा।स्टेकिंग की कोई समय सीमा नही होती यानि की आप जब तक अपने निवेश को स्टेक पर रखते हैं तब तक आपको रिवॉर्ड मिलता रहता है।यह मुनाफा आपको वेलिडेटर्स से मिलता है जिन्हें ट्रांजक्शन को वेरिफाई करने का रिवॉर्ड मिलता है और उसी में से कुछ हिस्सा स्टेक करने वालों को मिलता रहता है।

अगर हम स्टेकिंग और बैंक के फिक्स डिपॉज़िट की तुलना करें तो स्टेकिंग कई तरह से फिक्स डिपॉज़िट से बेहतर है।फिक्स डिपॉज़िट की एक सीमा होती है जो करीब पांच हज़ार रुपय है और स्टेकिंग के ज्यादातर प्रोजेक्ट की कोई कम से कम या ज्यादा से जयदा सीमा निर्धारित नहीं होती इस लिए इसमें छोटा निवेशक भी निवेश कर सकता है।स्टेकिंग का फायदा यह है की इसे आप बहुत थोड़े समय लॉक रखने के बाद कभी भी अपने निवेश को निकालने के लिए स्वतंत्र है जबकि फिक्स डिपॉज़िट लम्बी अवधि के लिए होते हैं और इसे समय से पहले निकालने पर मुनाफा नहीं मिलता जबकि स्टेकिंग में मुनाफा मिलता है।स्टेकिंग में मुनाफे को लगातार निकाला जा सकता है लेकिन फिक्स डिपॉज़िट में निश्चित अवधि के बाद है निकाला जा सकता है।स्टेकिंग में लगातार मुनाफे को निवेश किया जा सकता है जिस से मुनाफा बढ़ता जाता है जबकि फिक्स डिपॉज़िट में ऐसा नहीं किया जा सकता और अगर होता भी है तो निश्चित अवधि के बाद।

फिक्स डिपाजिट का एक फायदा जरूर है की इसमें आपको जो लाभ मिलता है वह निर्धारित होता है लेकिन स्टेकिंग में यह कम या ज्यादा हो सकता है।आमतौर पर फिक्स डिपाजिट में 7 से 7.50 प्रतिशत तक का वार्षिक मुनाफा होता है और क्रिप्टो स्टेकिंग में 5 प्रतिशत या इस से ज्यादा और कई प्रोजेक्ट में यह 20 प्रतिशत  सालाना भी होता है, लेकिन क्रिप्टो स्टेकिंग का एक और फायदा यह भी होता है की जिस टोकन को आप ने स्टेक किया हुआ है उसकी कीमत में जो उछाल आता है वह फायदा आपको फिक्स डिपाजिट में नहीं मिल सकता क्योंकि मुद्रा की कीमत तो फिक्स है यानि दस हज़ार रुपया दो साल बाद भी दस हज़ार ही रहेगा लेकिन एक ईथर आज 300 डॉलर का है तो दो साल बाद यह 600  डॉलर का भी हो सकता है।यहाँ पर यह सम्भावना भी है की ईथर की कीमत 300 डॉलर से निचे चली जाए इस लिए अपने मुनाफे के कुछ हिस्से को समय समय पर निकाल कर बेचते रहना चाहिए और कुछ हिस्से को दोबारा स्टेक करते रहना चाहिए।

तो अब आपको यह सोचना और विचार करना है की आपको कहां निवेश करना है?

WazirX Warriors – CryptoNewsHindi

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